गुरुदेव रबिन्द्रनाथ द्वारा रचित गीतांजलि का हिन्दी अनुवाद अब अमेजन पर भी उपलब्ध है -- संजयाचार्य।
Thursday, August 30, 2018
गीतांजलि
रबिन्द्रनाथ टैगोर
मेरा मस्तक नत कर अपने
चरण-धूलि के नीचे
चरण-धूलि के नीचे
सारा अहंकार हे, मेरा
डूबो दो आँसुओं में।
अपने गौरव की खातिर
अपना ही अपमान कर
खुद को बाँध
घेर-घेरकर
मारा पल-पल।
सारा अहंकार हे, मेरा
डूबो दो आँसुओं में।
ना अपना गुणगान करूँ
मैं अपने कामों से
अपनी इच्छा करो हे
पूर्ण
मेरे जीवन से।
मुझे दो अपनी परम
शांति
प्राणों में अपनी परम
कांति
मुझे उठाओ छिपा लो
अपने
हृदय-कमल में।
सारा अहंकार हे, मेरा
डूबो दो आँसुओं में।
संजयाचार्य
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He loves to read and writes, specially about philosophy, religion and fiction. He also maintains two blogs - Hindikosh and Amarkosh. ...
